प्रतिवर्ष भगवान श्री गणेश की मूर्ति को सभी अपने घरों में और सार्वजनिक रूप से पंडालो में विराजमान करते हैं , उनमें प्राण डालकर 10 दिनों तक विधि विधान से पूजा की जाती है एवं गणेश जी को मनाया जाता है । कहा जाता है कि गणेश उत्सव की शुरुआत 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में की थी । उस वक्त देश में आजादी की लड़ाई चल रही थी । ऐसे में तिलक ने गणेश उत्सव के नाम पर लोगों में एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत करने के मकसद से गणेश उत्सव मनाते थे ।
और यही प्रथा आज भी चली आ रही है एवं सभी लोग वास्तव में गणेश पंडालो में संगठित रूप से रहकर कार्य करते हैं । नगरवासी समस्त पंडालो में जाकर समितियों का उत्साहवर्धन करते हैं । यही एक ऐसा उत्सव है , जिसमें हिंदुत्व विचारधारा के बच्चे उभर कर आते हैं । जो कि अपने दम पर समस्त व्यवस्थाएं करते हैं एवं नगरवासी उन्हें चंदा देकर अपना कर्तव्य पूर्ण करते हैं ।
बस इसी प्रकार से पत्थलगांव में भी जगह-जगह गणपति विराजमान किए गए एवं धूमधाम से गणपति विसर्जन का आयोजन किया गया । समस्त भक्तजनों में काफी उत्साह देखने को मिला सभी भक्तजन ढोल , नगाड़े एवं डीजे में गणपति की धुन में थिरकते हुए दिखे । पत्थलगांव में मुख्य रूप से पांच गणेश उत्सव समिति ने अपनी भूमिका दिखाई , जिसमें विघ्न विनाशक गणेश उत्सव समिति (मंडी प्रांगण) , हिंद कॉलोनी गणेश उत्सव समिति , यंग स्टार गणेश उत्सव समिति (कश्मीरी गली) , युवा गणेश उत्सव समिति रायगढ़ रोड , भोजपुरी समाज गणेश उत्सव समिति रायगढ़ रोड सम्मिलित है । सभी समितियों ने 10 दिनों तक गणेश जी की सार्वजनिक रूप से सेवा की एवं विसर्जन के समय धूमधाम से गणेश जी की विदाई की ।
विसर्जन के दौरान पुलिस प्रशासन की व्यवस्था सुदृढ़ रही ट्रैफिक व्यवस्थाओं को भी उचित रूप से संभाला गया विसर्जन के समय भी पुलिस प्रशासन भक्तजनों की देखरेख में खड़ी रही , उसके लिए पत्थलगांव के निवासियों के समक्ष एस•डी•ओपी साहब श्री ध्रुर्वेश जयसवाल जी एवं टी•आई साहब श्री विनीत पांडे जी प्रशंसा के पात्र बने , जिनके नेतृत्व में सारी व्यवस्थाएं सुदृढ़ हो सकी…!!